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  • Sunday, 08 June 2025
काशी में तैयार हुई नागा साधुओं की कैबिनेट

काशी में तैयार हुई नागा साधुओं की कैबिनेट

6 साल तक के लिए मिली अखाड़े की व्यवस्था, दिया गया सर्टिफिकेट


वाराणसी। प्रयागराज महाकुंभ में आए नागा साधु संतों का प्रवास होली महोत्सव के साथ ही समाप्त हो गया है। अपने-अपने अखाड़े से सर्टिफिकेट लेकर अब नागा साधु सन्यासी तप के लिए पहाड़ों के तरफ प्रस्थान कर रहे है।
गुरुदेव के आदेश के बाद वह अपने-अपने स्थान पर धूमी रमाकर तपस्या करने वाले है। इससे पहले नए बने नागा साधुओं को सर्टिफिकेट भी दिया गया और नए कैबिनेट का भी गठन हुआ है।

देश में मान्यता प्राप्त 13 अखाड़े

देश में 13 अखाड़ों को धार्मिक तौर पर मान्यता प्राप्त है। इसमें श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी, श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा, अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा, अखिल भारतीय श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा, श्री पंचायती आनंद अखाड़ा, श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा, श्री पंच अग्नि अखाड़ा महाराज, श्री तपोनिधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण, श्री पंचायती नया निर्वाण उदासीन अखाड़ा और श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा शामिल हैं।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने बताया कि निरंजनी अखाड़े में सचिव सहित कुल 5 पदों पर चुनाव होता है। इसमें एक सचिव, दो थानापति होते हैं। थानापति को छोटा जिला मिलाता है। कुठारे यानी स्टोरकीपर नियुक्त होते हैं। उन पर खाद्यान्न के रख-रखाव और वितरण की जिम्मेदारी होती है। इसके बाद जिलेदार और पुजारी होते हैं। जिलेदार को बड़ा जिला दिया जाता है। जबकि अखाड़े में तय होने वाले पुजारियों को विभिन्न मंदिरों में 6 साल के लिए सेवा करने भेजा जाता है।

उन्होंने बताया कि सबसे पहले हम महापुरुष बनाते हैं, जो छोटा साधु है। उसके बाद दिगंबर जो कि नागा बाबा कहलाते है। फिर थानापति होते हैं, जिन्हें एक स्थान दिया जाता है और वह वहां के मुखिया होते हैं। सबसे छोटा पद कारबारी का जो कामकाज अखाड़े का देखते हैं। निरंजनी अखाड़े में श्री महंत अखाड़े के मुखिया होते हैं, इन्हें पांच भी कहा जाता है यह आठ होते है। इन आठों का किसी भी निर्णय पर अगर मत होता है, तब उसका पालन किया जाता है। और सबसे बड़ा पद सचिव का होता है जो पूरे देश की देखरेख करता है।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पुरी ने बताया कि अखाड़े में महामंडलेश्वर एक सम्मानित पद होता है उनका अखाड़े के किसी भी कार्य से लेनादेना नहीं होता है। वे सिर्फ संरक्षक की भूमिका में होते हैं और वह गुरु ज्ञान देते हैं साथी वह देश में भ्रमण करके सनातन का प्रचार प्रसार करते हैं।

जूना अखाड़े के नागा दूसरे अखाड़ों के नागा साधुओं से बहुत अलग हैं। दूसरे अखाड़े के नागा जहां भस्‍म कड़े, रुद्राक्ष और लंबी जटाओं के लिए जाने जाते हैं, तब वहीं जूना अखाड़े के नागा अपने जननांग का भी शृंगार करते हैं। इस अखाड़े की सबसे खास बात यह है कि संचालन के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया से प्रधान यानी अध्‍यक्ष और उनकी कैबिनेट का चुनाव होता है, तब न्‍याय देने के लिए न्‍यायपालिका भी गठित होती है।


सभी 17 प्रमुख पर होती है आखाड़े की जिम्मेदारी

थानापति डाक्टर शिवानंद पुरी महाराज ने बताया कि काशी के हनुमान घाट पर जूना अखाड़ा का विशाल आश्रम और मुख्‍यालय होने से महाकुंभ के समापन के मौके पर यहीं अखाड़े के प्रधान और गवर्निंग बॉडी का चुनाव हुआ, जिस पर देशभर के साधु-संतों की निगाहें टिकी रही।

अध्‍यक्ष से लेकर अन्‍य पदाधिकारी, मढ़ियों के महंत, अष्‍टकौशल महंत, कोतवाल और कोठारी के पद पर चुने गए संतों का पट्टाभिषेक भी काशी में हुआ। अब 20 मार्च तक नए नागा साधुओं को सार्टिफिकेट मिल जायेगा। उन्होंने बताया प्रयागराज में 12 साल पर लगने वाले महाकुंभ और 6 साल पर लगने वाले अर्धकुंभ तक नए पदाधिकारियों कार्यकाल होते हैं। रमता पंच तीन साल के लिए नियुक्त होते हैं।

शिवानंद पुरी ने बताया इस कैबिनेट में कोई भी व्यक्ति जो इस अखाड़े से जुड़ा हुआ होता है वह अपनी अपील कर सकता है। जब शिकायत का प्रार्थना पत्र आता है उसके बाद ये टीम उस शिकायत पर विचार करती है कि जो शिकायत की गई है वह सुनने लायक है या नहीं है और अगर सुनने लायक होती है शिकायत उस पर सुनवाई होती है वहीं अगर सुनने लायक नहीं होती है शिकायत अपील करने वाले को उचित दंड भी दिया जाता है। इस कोर्ट में 17 लोग ही निर्णय लेते हैं। सबकी सहमति होनी चाहिए।
इस बैठक की सूचना सभी 17 सदस्यों को दी जाती है और एक तिथि निर्धारित की जाती है। अगर आपात स्थिति में बैठक करनी होती है तो कम से कम 24 घंटे का समय सभी को एक जगह इकट्ठा होने के लिए दिया जाता है जिससे सभी लोग आ सके और फिर बैठक कर फैसला लिया जा सके।

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